उस के होंठों पर हमेशा एक हंसी रहा करती हैं,
एक अजीब सी मुस्कान,
जैसे वो दुनिया पर हंस भी रही हो,
और दुनिया का दुःख भी सांझा कर रही हों
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मुस्कराहट सी खिली रहती हैं आंखों में कहीं,
और पलकों पे उजाले से झुके रहते हैं
होंठ कुछ कहते नही कांपते होंठों पे मगर
कितने खामोश से अफ़साने लिखे रहते हैं
Sunday, 8 March 2009
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